दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद शेख जायद ग्रैंड मस्जिद विश्वभर के मुस्लिमों के लिए विशेष स्थान रखती है
अबू धाबी की शेख जायद ग्रैंड मस्जिद दुनिया की दस सबसे बड़ी मस्जिदों में शामिल हैं। सउदी अरब की मक्का और मदीना मस्जिदों के बाद यह दुनिया की तीसरी सबसे विशाल मस्जिद है। यहां पर 40000 लोग एक साथ नमाज अदा कर सकते हैं। पूरी तरह से वातानुकूलित मस्जिद के सबसे बड़े हाल में एक बार में 7000 लोग एक साथ नमाज़ पढ़ सकते हैं।
संयुक्त अरब अमीरात की सबसे बड़ी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद शेख जायद ग्रैंड मस्जिद विश्वभर के मुस्लिमों के लिए विशेष स्थान रखती है। इस मस्जिद के निर्माण का कार्य संयुक्त अरब अमीरात के पूर्व शासक शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान ने वर्ष 1996 में शुरु किया था। लगभग 12 एकड़ के भूभाग में फैली इस मस्जिद को बनाने के पीछे दुनिया भर में फैली इस्लामिक मान्यताओं, रीति-रिवाजों तथा कलाकारों को एक स्थान पर लाना था, जहां इस्लाम की विविधता में एकता को दर्शाया जा सके।
दुनिया की सबसे सुंदर मस्जिद के रूप में मशहूर इस मस्जिद को बनाने में मुख्य रूप से राजस्थान के मकराना के मार्बल का उपयोग किया गया है। यह मार्बल ताजमहल बनाने में लगे मार्बल की ही श्रेणी का है जो अपनी चमक से चलते मस्जिद को दूर से ही भव्य आभा देता है। मार्बल के अलावा मस्जिद को बनाने में संगमरमर पत्थर, कोटा का मकराना, सोना, अर्द्ध कीमती पत्थरों, क्रिस्टल और चीनी मिट्टी की चीज़ों के अलावा प्राकृतिक सामग्री का भी प्रयोग किया गया है।
इस मस्जिद का निमार्ण 12 वर्षों में किया गया था। इसे बनाने के लिए 38 कंपनियों तथा 3000 लोगों ने अथक परिश्रम किया। मस्जिद बनाने के लिए मोरक्को, तुर्की, भारत, मलेशिया, चीन, ईरान, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और ग्रीस से कारीगर बुलाए गए थे। मस्जिद के अंदर भव्य नक्काशी और गोल्ड कोटिंग की गई है। सफेद रंग की इस भव्य मस्जिद के मुख्य गुंबद की ऊंचाई 75 मीटर और लंबाई 32.2 मीटर है। मस्जिद की दीवारों तथा खंभों पर कैलीग्राफी की गई है। साथ ही अल्लाह के 99 पवित्र नाम भी बेहद खूबसूरती से लिखे गए हैं।
मस्जिद के सेंट्रल हॉल में 9 टन वजनी झूमर भी टांगा गया है। यह झूमर भी अपने आप में बेहद खास हैं। इसे बनाने में स्वरोस्की के लाखों क्रिस्टल्स का इस्तेमाल किया गया है। यह दुनिया के तीन सबसे बड़े झूमर में से एक हैं।
मस्जिद के मुख्य हॉल का कालीन हाथ का बुना हुआ दुनिया का सबसे बड़ा कालीन है। लगभग 6000 वर्गफीट के क्षेत्रफल वाला यह कालीन विशेष रूप से ईरान से मंगवाया गया है। इस कालीन को 1200 से अधिक ईरानी महिलाओं ने 2 साल की दिन रात की मेहनत के बाद बुना है। एक बार में इस कालीन पर लगभग 9000 व्यक्ति बैठ सकते हैं। 35 टन वजनी इस कालीन में न्यूजीलैंड तथा ईरान की भेड़ों से प्राप्त ऊन काम में ली गई है। साथ ही कालीन में 2,268,000,000 गांठें हैं।
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